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Dharma

मन और प्राण को व्यापक कर ने पर कुल कल्याण क्या, समग्र चराचर जगत कल्याण कर सकते है । साधक का ईश्वर साक्षात्कार का अर्थ ही यह सर्वव्यापकता है । और इस पथ पर चलते चलते, सिद्ध साधक कुल से ले कर जन सामान्य के कल्याण के निमित्त बनते है ।

सम्पूर्ण ब्राह्मण संस्था इस सिद्धांत पर चलती है। यजमान से ले कर शिष्य तक, सबका कल्याण ब्रह्म में रत ब्राह्मण पुरुष की साधना से संभव है। कुल का भाग होने पर , यह बात कुटुंब में भी संभव है।

लग्न संस्था का भी यहीं उद्देश्य है । विवाह् ==> सखत्व ==> एकत्व ==> साधना से एक दुसरे के और परिवार के सभी सदस्यों के कर्म फ़ल काटकर मोक्ष पुरुषार्थ का मार्ग प्रशस्त हो सकता है।

समय और जीवन का मूल्य समझो और साधना में लगे रहो। 🙏 एक एक क्षण जाते जाते, एक और जीवन बीत चला…संभल जाओ, साधना में लग जाओ।

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