Why do we celebrate Makar Transit? क्यूँ मकर संक्रांति मनाते है?

“उत्तरायण 22-Dec को हो जाता है और सूर्य की संक्रांति तो प्रत्येक राशि में होती है तो मात्र मकर संक्रांति ही क्यूँ मनाई जाती है? “

भारतीय उत्सव और पर्व मात्र भौतिक आनंद के हेतु निश्चित किए नहीं होते। भौतिक उत्सव के साथ साथ आध्यात्मिक विकास का भी लक्ष्य होता है।

[में जोशी हूँ पर अभी ज्योतिषी नहीं हूँ तो मेरी अल्प समझ में त्रुटि हो तो क्षमा कीजिएगा। 🙂 ]

मकर राशि का स्वामी है शनि।
शनि महाराज है हमारे कर्मों के corrective feedback loop। जब तक प्रत्येक कर्म निष्काम कर्तव्य कर्म नहीं बनता तब तक शनि महाराज सुख-दुःख, आधि-व्याधि-उपाधि के रूप में feedback देते रहते है । शनि महाराज बतलाते है हमारे मानवीय सीमाओ को और अपनी सीमा को जानने के बाद ही तो हम उसे तोड़ असीमित\अद्वितीय\अमृतमय बन सकते है ।

उत्तरायण से 6-8 महीने (चातुर्मास तक), मनुष्य सामान्य तह सांसारिक कर्मों में उलझे रहते है। शनि महाराज की कृपा रहे तो प्रत्येक कर्म निष्काम बन सकता है । तो जब तक सूर्य देव शनि जिनके स्वामी है ऐसी मकर राशि में गोचर कर रहे है तब तक लौकिक कर्मों का प्रारंभ सावधानी पूर्वक, अपने पिंड के सूर्य को ब्रह्मांड के सूर्य की शक्ति से पुनर्जीवित कर करने चाहिए। शनि महाराज की feedback को समझना सीखना हो तो मकर गोचर का समय अच्छा हो सकता है ।

उपाय क्या?

सूर्य पूजा (ऊर्जा का एकमेव स्रोत, जिसके आशीर्वाद से शनि परीक्षा (आधि -व्याधि -उपाधि) से लड़ सकते है)
गौ सेवा (गो = इंद्रियों, की कार्यक्षमता गो (गाय) प्रसाद से ही होती है। कुशल इंद्रियों के बिना लौकिक कर्मों में सफलता कैसे?)
गंगा स्नान (पिंडगत शनि शांति के लिए ? )
तिल गुड – (पिंडगत शनि शांति के लिए ? )
दान (इदं न मम \ निष्कामता दृढ़ करने हेतु?)

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