भगवद् गीता के अनुसार, तामसिक समझ के उपरांत दो प्रकार के ज्ञान हैं। शिक्षा की भूमिका और लक्ष्य हम सभी को तामसिक समझसे (तमस प्रधान समझ होगी उसे ज्ञान नहीं कह सकते ) सात्विक ज्ञान की ओर ले जाना है।
यह चार्ट स्व-व्याख्यात्मक है। मैंने अलग-अलग बौद्धिक अवस्थाओं को समझने के लिए तीन अलग-अलग मनःस्थितियों (असुर, विज्ञानी, ऋषि) और एक कौशल्य के विविध स्तर (झोलाछाप डॉक्टर, एलोपैथ डॉ।, आयुर्वेद वैद्य) के उदाहरण दिए हैं। हमें यह देखने के लिए आत्मनिरीक्षण करने की आवश्यकता है कि हम कहां खड़े हैं। इस यात्रा के लिए अलग-अलग उपकरण (गणित विज्ञान, कला, कौशल, स्वाध्याय ,सत्संग,साधना ) भी सुझाए गए हैं। आधुनिक शिक्षा केवल राजसिक ज्ञान को उपलब्ध कराने पर केंद्रित है।
As per Bhagwad Geeta, There are two types of ज्ञान besides Tamsic अज्ञान . Role and goal of education is to move all of us from Tamsic अज्ञान to सात्विक ज्ञान .
This chart is self-explanatory. I have given examples of three different mindsets (असुर , विज्ञानी, ऋषि ) and vocations (झोलाछाप डॉक्टर , एलोपथ डॉक्टर , आयुर्वेद वैद्य ) to understand different intellectual states. WE need to do introspection to see where we stand.
There are different tools also suggested for this journey. Modern education only focuses on making राजसिक ज्ञान available. With it, we cannot produce sustainable solutions due to lack of understanding to see everything as connected!