नमस्कार मित्रों ! कल हमने आपको संस्कृतभाषा की कुछ विशेषताओं के विषय में थोड़ा सा बताया था। मुझे पूरा विश्वास है कि आपने पिछली बातें पक्की कर ली हैं। फिर भी आपको याद दिलाना उचित समझता हूँ । आप जान गये हैं कि संस्कृत में तीन वचन, तीन पुरुष और शब्दों के तीन लिंग होते हैं। प्रत्येक शब्द के रूप चलते हैं जिन्हें “विभक्ति” कहते हैं। पुरुष को पहचानने का तरीका भी आप जान गये हैं। क्रिया सदैव पुरुष और वचन के अनुसार होती है- यह भी आपने पक्का कर लिया। तो अब हम अगले सोपान पर पैर रखेंगे। आज हम आपको “कारक और विभक्ति” के विषय में थोड़ा सा बतायेंगे। यह विषय बहुत महत्त्वपूर्ण है, इसे आपने ठीक से समझ लिया तो वाक्यरचना कभी गलत नहीं होगी। ध्यानपूर्वक पढ़िये।
1) किसी भी वाक्य में कोई न कोई क्रिया अवश्य रहती है। बिना क्रिया के कोई वाक्य नहीं होता। इसीलिए वैयाकरण लोग कहते हैं – “एकतिङ् वाक्यम्” अर्थात् “जिसमें एक क्रिया हो उसे वाक्य कहते हैं।”
2) उस क्रिया को सम्पन्न करने में कई कारण होते हैं, जिनके कारण ही क्रिया का होना सम्भव हो पाता है। क्रिया के उन कारणों को ही “कारक” कहा जाता है।
3) “डोनाल्ड ट्रम्प बाग में पेड़ से डण्डे से नरेन्द्र मोदी के लिए फल तोड़ता है।” इस वाक्य में “तोड़ता है”- यह क्रियापद है। अब इस “तोड़ना” क्रिया के छः कारण हैं, देखिए कौन कौन से-
1] डोनाल्ड ट्रम्प “कर्ता” कारक है ।
2] बाग “अधिकरण” कारक है ।
3] पेड़ “अपादान” कारक है ।
4] डण्डा “करण” कारक है ।
5] नरेंद्र मोदी “सम्प्रदान” कारक है ।
6] फल “कर्म” कारक है।
4) संस्कृत भाषा में यही छः कारक होते हैं। इन छहों को याद रखने के लिए एक श्लोक बता देता हूँ जिसे याद कर लेने पर आप इनका नाम कभी नहीं भूलेंगे-
“कर्ता कर्म च करणं सम्प्रदानं तथैव च ।
अपादानाधिकरणम् इत्याहुः कारकाणि षट्॥”
5) इन छः कारकों के अतिरिक्त एक और चीज होती है जिसे “सम्बन्ध” कहा जाता है। ऊपर के वाक्य में यदि कहा जाए-
“डोनाल्ड ट्रम्प ‘ओबामा के’ बाग में डण्डे से………”
तो इससे बाग का सम्बन्ध ओबामा के साथ दिखाया जा रहा है। किन्तु ओबामा “तोड़ना” क्रिया में सहायक नहीं है इसलिए वह कारक नहीं है।
इन पाँच बातों को भली प्रकार समझ लीजिए और मस्तिष्क में बिठा लीजिए। कल आपको छह कारकों और सम्बन्ध के विषय में थोड़ा विस्तार से बताया जाएगा। साथ ही यह भी बताएँगे कि इन सातों के लिए किन विभक्तियों का प्रयोग होता है।
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श्लोक :
रामो राजमणिः सदा विजयते रामं रमेशं भजे
रामेणाभिहता निशाचरचमू रामाय तस्मै नमः।
रामान्नास्ति परायणं परतरं रामस्य दासोऽस्म्यहं
रामे चित्तलयः सदा भवतु मे हे राम मां पालय॥
यह श्लोक आगे काम आयेगा अतः याद कर लें।
॥शं तनोतु शङ्करः॥
Thank u , I am recalling everything. Learned Sanskrit till class 10 ,but now forgotten all .
बहुत बढ़िया प्रयास
यह बहुत पसंद आया धन्यवाद और एक बिनती है कि ये सभी भाग पुस्तक के रूप में मुझे प्राप्त करना हो तो मुझे क्या करना चाहिए
Nice……It was understandable and you were right I recognize things easily through the shloks