है याद हमें युग युग की जलती अनेक घटनायें,
जो माँ की सेवा पथ पर आई बन कर विपदायें,
हमने अभिषेक किया था जननी का अरि षोणित से,
हमने श्रिंगार किया था माता का अरि-मुंडों से,
हमने ही उसे दिया था सांस्कृतिक उच्च सिंहासन,
माँ जिस पर बैठी सुख से करती थी जग का शासन,
अब काल चक्र की गति से वह टूट गया सिंहासन,
अपना तन मन धन देकर हम करें राष्ट्र आराधन
हम करें राष्ट्र आराधन.. आराधन
If we really wish her back on सांस्कृतिक उच्च सिंहासन, it starts with education.वैदिक शिक्षण परंपरासे ही माँ सरस्वतीको एक बार पुनः सांस्कृतिक उच्च सिंहासनपे आरूढ़ कर पाएंगे! There is no other way but to ditch modern education system.
नवरात्रका तप/साधना मात्र अपने व्यक्तिगन आध्यात्मिक विकास तक सिमित नहीं रखना चाहिए!यज्ञ परंपरा चलती रहे!