Human birth, karma and next cycle

Marut

Dharma, Karma

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Everything is about flow. Currents. Under currents. Don’t dam them. Don’t restrict them. Be it mother earth or our own body. Our bodies are made up of invisible energy channels that travel throughout the body. Flow of prana when obstructed, body physiology goes out of control, often end up as diseases or fatigue.

हमारा शरीर अगणित प्रवाहों का समूह है । 72000 नाडीओ में स्थूल और सूक्ष्म प्राण का सतत वहन होने से हमारा अस्तित्व है । पार्थिव नाड़ी में रस का वहन होता है, प्राणिक नाड़ी में प्राण और मानसिक नाड़ी में विचारों का । अन्न का अस्तित्व प्राण और प्राण का नियंत्रण मन से । सूक्ष्म मनोवह स्रोतस में जिस प्रकार का वहन होगा वैसी जीव की गति रहती है ।

यदि अज्ञान युक्त पार्थिव वस्तुओ में वासना बनी रहती है तो शरीर की यमगति (चित्र देखिए) सदा प्रभावी रहती है । यह यम गति है । मृत्यु समय पर यदि जीव वासना ग्रसित है तो जीवन मरण के चक्कर में पड़ा रहेगा । दुर्गति भी कर्म अनुसार शक्य है (मनुष्य जन्म से निकृष्ट योनि में जन्म) ।

किन्तु यदि योग्य शिक्षण से रजस प्रभावी जीव सकाम कर्मों में प्रवृत्त रहता है तो पितृ स्वरूप गति प्राप्य होती है ।

यदि जीव इस जन्म में ज्ञान साभार भक्ति में रत है तो निश्चित देव मार्ग पर मृत्यु पर्यंत गति रहती है ।

भारतीय शिक्षण व्यवस्था का यही उद्देश्य रहा है के आपको कोई भी वर्ण का शरीर प्राप्त हो (जो की आपके नियंत्रण में नहीं है), शिक्षण से योग्य दिशा प्राप्त कर जीवन दैवी बनाए रखे।

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