Holi as Preventive Care : Revive festival driven life routine

Marut

FestivalDrivenLife

Most of the times, when we are not alert about our mass actions, over the period, our rituals and actions are diluted, digested and polluted. That is what happened with Holi. Holi. like Diwali and all other Hindu festivals, acted as preventive care for respective seasons. Unfortunately, we no more celebrate them as is.

 

The missing gap is, holy ash.

We perform Holika Dahan.
We also play with the mud.
But we forgot the holy ash.

Don’t miss to apply ash of Holika dahan on forehead of each-other. Mud is an extension of holy ash.

विभूति(Holy Ash) is the key. Don’t miss.

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‘प्रभाते बिमले जाते ह्यंगे भस्म च कारयेत्। सर्वागे च ललाटे च क्रीडितव्यं पिशाचवत्॥
सिन्दरै: कुंकुमैश्चैव धूलिभिर्धूसरो भवेत्। गीतं वाद्यं च नृत्यं च कृर्याद्रथ्योपसर्पणम् ॥
ब्राह्मणै: क्षत्रियैर्वैश्यै: शूद्रैश्चान्यैश्च जातिभि:। एकीभूय प्रकर्तव्या क्रीडा या फाल्गुने सदा। बालकै: वह गन्तव्यं फाल्गुन्यां च युधिष्ठिर ॥’

वर्षकृत्यदीपक (पृ0 301)


रंग अभ्यंग

(https://www.facebook.com/prachand.pradyot/posts/2449218818628120)

१. तेल (औषधिमिश्रित हो तो अच्छा!) से देह पर भली-भाँति अभ्यंग (मालिश) कराएँ (अथवा स्वयं करें)।

२. देह पर सूखा बेसन (gram flour) छिड़कवाएँ (अथवा स्वयं छिड़कें)।

३. तेल पर चिपके बेसन को देह पर भद्रतया (gently) रगड़वाएँ (अथवा स्वयं रगड़ें) ताकि तेल की चिपचिपाहट (stickiness) समाप्त हो जाए।

४. देह पर अतिन्यून पानी (सुगन्धित प्राकृतिक लाल व पीले रंगों से युक्त हो तो अच्छा!) छिड़कवाएँ (अथवा स्वयं छिड़कें)। पानी इतना ही हो कि बहे न।

५. पानी को देह पर भली-भाँति रगड़वाएँ (अथवा स्वयं रगड़ें) ताकि तेल, बेसन व पानी भली-भाँति मिश्रित हो जाएँ।

६. पानी सूखने पर पुनः पानी छिड़कवाएँ (अथवा स्वयं छिड़कें) और भली-भाँति रगड़वाएँ (अथवा स्वयं रगड़ें)।

७. सिर पर पानी डलवा कर (अथवा स्वयं डालकर) देह को भली-भाँति धुलवा कर (अथवा स्वयं धोकर) स्नान करें। बेसन अपने साथ अतिरिक्त तेल को भी बहा ले जाता है जो किसी भी artificial bath soap द्वारा अशक्य है।

८. तौलिया से देह न पुछवाएँ/पौंछें। स्वतः सूखने दें। शीघ्रता हो तो किञ्चित् गीला देह होने पर भी वस्त्र धारण करना निरापद है। शैत्य समाप्त हो जाने पर बेसन से स्नान करने के उपरान्त देह को तौलिया से पौंछना अनावश्यक होता है। बेसन त्वचा को लाभ पहुँचाता है तथा उसकी मन्द गन्ध सुखद होती है। तौलिया से पौंछने पर ये लाभ नष्ट हो जाते हैं।

अकेले ही
अथवा प्रियजन के साथ परस्पर
अथवा प्रियजनों के समूह में यह कर सकते हैं!

कुछ जाना-पहचाना-सा लगा क्या?
कुछ स्मरण हो आया क्या?
क्या होली?!

मूल से विच्छिन्न सनातनी प्रजा!
अब तक नामशेष-निःशेष नहीं हुई!
यह सनातन का बल और पूर्वजों का तप है!

स्वयं पर कृपा करें!
मूल से न कटें! मूल को न काटें!!

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