prachodayatlive_health
आजकल बच्चों को वयस्क समझ कर ही वयस्क आदतों के साथ जोड़ दिया जाता है । बच्चों का आहार विहार भी वयस्कों जैसा विकारी और विकृत होता है। परिणाम स्वरूप, कोष्ठ अग्नि विकास की अवस्था से ही निर्बल रह जाता है । निर्बल अग्नि -> निर्बल प्राण -> अस्थानीय विकृत कोष्ठ जीवाणु (GUT microbes) -> allergies
The research, published in Nature Communications, identifies gut microbiome features and early life influences that are associated with children developing any of four common allergies — eczema, asthma, food allergy and/or hay fever.
(नेचर कम्युनिकेशंस में प्रकाशित शोध, आंत माइक्रोबायोम विशेषताओं और प्रारंभिक जीवन प्रभावों की पहचान करता है जो बच्चों में चार सामान्य एलर्जी – एक्जिमा, अस्थमा, खाद्य एलर्जी और / या हे फीवर में से किसी एक के विकास से जुड़े हैं।)
आयुर्वेद उपचार में इसीलिए पाचन और दीपन को चिकित्सा में प्राधान्य दिया गया है । अग्नि सम होगा तो प्रत्येक धातु सुचारु रूप से कार्य करेगी और अपनी पुत्रवत धातु का पोषण करेगी। पुष्ट धातु में रोग अवस्था उत्पन्न होना असाधारण है।