Constipation can lead to serious heart events

Nisarg Joshi

constipation, GUT, Health

Indigestion
Indigestion

आयुर्वेद सदैव यह मानता है की अजीर्णअपचमंदाग्निकब्ज मात्र धीमी गति से मल त्याग का रोग नहीं है पर इस से कहीं अधिक गंभीर परिस्थिति का कारण हो सकता है। आयुर्वेद के अनुसार, कब्ज वात असंतुलन और नलिकाओं के अवरोध का संकेत है। भले ही यह एक साधारण परेशानी है, लेकिन अगर समय पर इसका उपचार न किया जाए या इसे नज़रअंदाज़ किया जाए, तो यह एक बड़ी समस्या बन सकती है। इसलिए इस स्वास्थ्य परेशानी को गंभीरता से लेने की तत्काल ज़रूरत है।

आज से 15-20 वर्ष पहले, आधुनिक विज्ञान, कब्ज को सामान्य मानता था। 7 दिन तक मलत्याग न हो तो भी उसे सामान्य मानते थे। अब उनकी मान्यता में बदलाव आ रहा है।

“A new study has found that constipation is a common yet overlooked risk factor for cardiovascular events, including heart attacks, heart failure, or stroke.”

“एक नए अध्ययन में पाया गया है कि कब्ज हृदय संबंधी समस्याओं, जैसे दिल का दौरा, दिल की विफलता या स्ट्रोक के लिए एक आम लेकिन अनदेखा जोखिम कारक है।”

Perhaps the most famous example of the potentially dangerous consequences of chronic constipation is Elvis Presley. Elvis died straining on the toilet in 1977 at the age of 42 from a massive heart attack.
His autopsy revealed an enlarged ‘megacolon’ when he died, blocked up by clay-like stool from months before.

Constipation is one of the most common gastrointestinal (GI) disorders, impacting roughly 14 percent of the global population. Recent research suggests a person’s poop schedule is closely linked to their overall health.

कुछ लोगों का मानना ​​है कि कब्ज की वजह से आंतों में अपशिष्ट पदार्थ फंस जाते हैं। उन फंसे हुए अपशिष्ट पदार्थों की वजह से जटिलताएं होती हैं। दरअसल, इसका कारण इससे कहीं ज़्यादा गहरा है। बड़ी आंत को एक निश्चित समय तक मल को जमा करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इसलिए, इसे कुछ ज़्यादा समय तक रोके रखना इसके लिए कोई बड़ी बात नहीं है। असली समस्या यह है कि लंबे समय तक मल त्याग न करने से लीवर, मस्तिष्क, प्रतिरक्षा प्रणाली आदि को गलत संकेत मिलते हैं, जिससे माइग्रेन और ऐसी अन्य जटिलताएँ होती हैं। स्रोतस में अवरोध, हृदय घात और पक्षाघात के कारण बनते है!

छोटी आयु में हृदयघात से मरनेवालों की संख्या की वृद्धि के कारण में एक कारण अजीर्ण भी है!

स्व कल्याण और इस जन्म को सार्थक करने हेतु, अपने आहार विहार हेतु गंभीर बनना ही होगा। अजीर्ण है तो उपचार करवाए।

Ref: https://journals.physiology.org/doi/abs/10.1152/ajpheart.00519.2024

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