आयुर्वेद में मद्य(दारू) एक आहार वर्ग भी है और औषध का भाग है।प्रभावी अग्नि है! साथ साथ, यह एक प्रभावी मद निर्माण कर्ता है!
मद अर्थात चित्त का वहु उद्वेग वा उमंग अर्थात मनोविकृति! मद अर्थात उन्मत्तता, पागलपन और विक्षिप्तता। मद अर्थात गर्व । अहंकार । घमंड । अज्ञान । मतिविभ्रम । प्रमाद ।
इतने दुष्प्रभाव होने से औषध के रूप में भी मद्य आपदकाल में ही लेना चाहिए!
किन्तु आज, मद्यपान एक सामाजिक प्रवृति हो चला है। 12-13 वर्ष के बच्चे भी करते है।
परिणाम क्या होगा?
यह व्यसनी पीढ़ी ही नहीं, आनेवाली सभी पीढ़ी जन्म से रोगीष्ट होगी।
एक संशोधन अनुसार, शराब के व्यसनी मातापिता के संतान की mitochondria विकृत बनती है! mitochondria अर्थात प्रत्येक कोष का सूर्य। निर्बल सूर्य अर्थात, विकृत निर्बल शरीर, विकृत मन।
Drinking alcohol before conceiving a child could accelerate their aging
We found that paternal and maternal drinking both cause harmful changes to their offspring’s mitochondria. Mitochondria – often called the battery of the cell – control many aspects of aging and health. Like a cellphone battery, mitochondria deteriorate over time and cause cells to lose their ability to repair damage and control metabolism.