सत्य एक यम है। अष्टांग योग का भाग। जो जो 100% अन्यों के हित हेतु बोला जाता है वह सत्य है। यह अनासक्त वाणी, वाक तप है। यह तप से ही वाक बलवती बनती है । प्रभावी बनती है ।
वाक भी तरंग रूप है और ब्रह्मांड के सब पदार्थ, जीव भी। जब वाक सत्यवती स्थिति में हो तो, अपने बल से, ब्रह्मांड के सभी तंरगो पर प्रभाव डालती है। स्थावर और जंगम, सभी के रूप स्थिति में बदलाव ला सकती है। यही शाप अभिशाप, आशीर्वाद और वरदान है । यही वह वाणी है जो आपकी प्रत्येक जीवन स्थिति को बदल सकती है ।
दुर्भाग्य वश , आज के काल में, सत्यवती वाक का अभाव है। तो किसी के आशीर्वाद का कोई प्रभाव ही नहीं ।
मातापिता की निर्बल वाक के कारण, संस्कार सिंचन कार्य भी ठीक से न हो सके । माता की वाणी में आनुवंशिक बदलाव लाने की क्षमता है पर आधुनिक माताये मोह\अज्ञान\वासना\लोभ वश अपने सत्य को प्रबल न कर, निर्बल वाणी से अभिभावाक धर्म निभाती है। मातापिता तब ही प्रभावी है जब उनके जीवन में यम और नियम का आचरण अभ्यास निरंतर चल रहा हो।
वास्तव में, प्रभावी वाक के अभाव से ही विश्व में आसुरी सत्ता का प्रभाव है ।
यदि आप वास्तविकता से त्रस्त हो तो अपने सत्य व्रत को प्रभावी बनाने पर ध्यान केंद्रित करो।
मेरी दृष्टि इस पर सही समय पर पड़ी, आपका बहुत धन्यवाद।