पिछली बार हमने चर्चा की थी कैसे चित्त से उत्पन्न हुए क्लेशों का चित्त में विलय हो सकता है ! इससे पहले हमने समझा कैसे क्रिया योग से स्थूल क्लेश को सूक्ष्म बनाया जा सकता है !
आज समझते है – क्रिया योग से तनुकरण हुए सूक्ष्म क्लेशों का चित्त के साथ विलीनीकरण कैसे करें?
सूत्र
ध्यानहेयास्तद्वृत्तयः।।2.11।।
भाष्य
।।2.11।। क्लेशानां या वृत्तयः स्थूलास्ताः क्रियायोगेन तनूकृताः सत्य प्रसंख्यानेन ध्यानेन हातव्या यावत्सूक्ष्मीकृता यावद्दग्धबीजकल्पा इति। यथा वस्त्राणां स्थूलो मलः पूर्वं निर्धूयते पश्चात्सूक्ष्मो यत्नेनोपायेन
वाऽपनीयते तथा स्वल्पप्रतिपक्षाः स्थूला वृत्तयः क्लेशानां सूक्ष्मास्तु महाप्रतिपक्षा इति।
भाषांतर
वृत्तियाँ ध्यान के द्वारा नष्ट करने योग्य हैं ।
- कैसी वृत्तियाँ ध्यान से नष्ट करने योग्य है ?
- जो वृतियाँ क्रिया योग से हल्की हुई है | (पिछली नोट में पानी के उबलने का उदाहरण याद करिए )
- हल्की वृत्तियों का क्या करना है?
- दग्धबीजकरण करना है |
- सूक्ष्म स्वरूप में लाना है | ऐसा स्वरूप जिसमे क्लेश की स्थूल अभिव्यक्ति नहीं है मात्र बीज स्वरूप है | बीज स्वरूप सूक्ष्म क्लेश विषय के संपर्क में आने से फिर से स्थूल बन सकते है | या ध्यान की अगली अवस्था से नष्ट भी किए जा सकते है !
- क्लेश की इस तीन स्तर की प्रक्रिया को भाष्यकार ने सुंदर उदाहरण दिया है
- जैसे कपड़ों पर लगी स्थूल गंदगी पहले सरलता से काम समय में दूर की जाती है और बाद में सूक्ष्म गंदगी प्रबल प्रयत्न और युक्ति से निकाल सकते है | कभी कभी सूक्ष्म दाग दूर करने को , एक से अधिक बार धोने की क्रिया करनी पड़ती है | वैसे ही स्थूल क्लेश अल्प प्रतिकार करते है और सूक्ष्म क्लेश महान प्रतिकार वाली होती है | क्रिया योग एक जन्म में भी सिद्ध हो सकता है परंतु समाधि के लिए एक से अधिक जन्म लेने पड़ सकते है |
- संक्षेप में
- क्लेश के तीन स्तर
- स्थूल
- दग्धबीज
- चित्त से विलीनीकरण
- क्लेश पर तीन प्रक्रिया करनी है
- तनुकरण
- दग्धबीजकरण
- प्रतिप्रसव
- क्लेश पर प्रक्रिया के साधन
- क्रिया योग
- तप , स्वाध्याय, ईश्वर प्रणिधान
- प्रसंख्यान ध्यान
- असंप्रज्ञात समाधि
- क्रिया योग
- क्लेश के तीन स्तर