Last Note on 11 Aug, 2021 साधन पाद २.१ : https://www.facebook.com/NisargJoshi/posts/10161421784734762
पहले गुरु विषय को शिष्य समक्ष खोल देते है और बाद में प्रश्न की प्रतीक्षा करते है | क्रिया योग क्या है यह समझाया अब प्रश्न आया –
क्रिया योग क्यूँ?
समाधिभावनार्थः क्लेशतनूकरणार्थश्च।।2.2।।
क्रिया योग (तपस्या,स्वाध्याय,ईश्वर प्रणिधान) समाधि को भावित करने के लिए और क्लेशों को हल्का करने के लिए होता है !
सुव्यवस्थित रीत से किया गया क्रिया योग समाधि पूरी करता है | क्लेश का तनुकरण करता है |
क्लेश क्या है ?
क्लिश्नन्ति इति क्लेशा: | क्लिश भावे घञ्।
पीड़ा या दुःख प्रदान करने वाली वृत्तियाँ क्लेश कहलाती है |
क्लेश का तनुकरण (हल्का करना) क्रिया योग से होता है | क्लेशों को सूक्ष्म करना है | क्लेश सूक्ष्म होंगे तो समाधि का मार्ग सरल होगा | क्रिया योग क्लेशों को मात्र सूक्ष्म करेगा | बीज रूप में क्लेश रहेंगे जो मात्र विवेक जागृति से दग्ध हो सकते है | विवेक जागृति रूपी अग्नि से क्लेश रूपी बीज को दग्ध तभी शक्य है जब हम क्लेशों को सूक्ष्म रखें !
क्लेश को सूक्ष्म करना अर्थात क्या ?
क्लेश को निर्बल करना | क्लेश को शरीर के पंचकोश पर हावी न होने देना | क्लेश यदि अंकुरित भी होते है तो अल्प समय में उनका शमन हो जाए | कैसे होगा यह? क्रिया योग से!
तमोगुण के प्रभाव से, इंद्रियों में दोष उत्पन्न होता है, कभी कभी जन्म से ही अशुभ संस्कार मिले होते है , कभी आचरण अधर्म युक्त होता है – इन सब परिस्थिति में अविद्या उत्पन्न होती है और अविद्या सभी क्लेशों का मूल है | क्लेशों को निर्बल बनाने हेतु अविद्या का मूल ढूँढना पड़ेगा | जैसे जैसे अविद्या का कारण नाश होगा, वैसे ही अविद्या जाएगी| अविद्या जाने से बाकी सभी क्लेश जायेगे |
यम, नियम, आसान और प्राणायाम रूपी तप से, स्वाध्याय से होने वाले ज्ञान से और सब कर्म के फल ईश्वर को अर्पण करने से, अनुक्रम से शरीर (यम,नियम,आसन ), प्राण(प्राणायाम ), मन(प्राणायाम) , बुद्धि(स्वाधाय) और अहंकार(ईश्वर प्रणिधान) (पंचकोश) रूपी अशुद्धि दूर होती है , जिससे धर्माचरण बढ़ता है | धर्माचरण से संस्कार बनेंगे | संस्कार के सहकार से विद्या उत्पन्न होगी | विद्या से विवेक आएगा | विवेक से क्लेश का मूल नष्ट \दग्ध होगा !
क्रिया योग से क्लेश सूक्ष्म\निर्बल करने है | बिना क्लेश सूक्ष्म किए बिना समाधि का मार्ग नहीं बनता | जो बन सके, करें ! तप से प्रारंभ करें, या फिर स्वाधाय से या ईश्वर प्रणिधान से ! क्रिया योग रूप में तीन मार्ग दिए है – कर्म मार्ग, ज्ञान मार्ग, और भक्ति मार्ग !
भगवान पतंजलि की कृपा से हम सब क्लेश तनुकरण में तत्परता से लगे रहें !