ब्राह्ममुहूर्त में जागरण से ही सनातन धर्मानुयायियों की दिनचर्या प्रारंभ होती है। ब्राह्ममुहूर्तका उपयोग लेना हमारा एक आवश्यक कर्तव्य हो जाता है। यह आठों प्रहरों का राजा है।
ब्राह्मे मुहूर्त उत्तिष्ठेत् स्वस्थो रक्षार्थम् आयुषः।(अष्टा०हृ०)
प्रात: जागरण से दिन भर शरीर में स्फूर्ति बनी रहती है और साथ ही व्यावहारिक दृष्टि से इस समय जाग जाने से हम अपने दैनिक कृत्य से, नित्य नियम से शीघ्र ही निवृत्त हो जाते हैं।
अर्थात् स्वस्थ मनुष्य आयु की रक्षा के लिये रात के भोजन के पचने न पचने का विचार करता हुआ (ब्रह्ममुहूर्त) ऊषाकाल में उठे।
वातावरण की सात्त्विकता एवं शुद्ध वायु (आक्सिजन गैस)
सूर्य शक्ति का अवलम्बन
मस्तिष्क की शुद्धि तथा शान्त एवं नवशक्तियुक्त होना(मानसिक लाभ)
आयुर्वेदीय लाभ (जल पान आदि से शारीरिक लाभ)
आज हमारी दिनचर्या प्रकृति से विपरीत हो गई है। देर तक जागना एक सामाजिक स्वभाव सा हो गया है।
एक शोधपत्र अनुसार, देर से सोने वाले किशोर कम सक्रिय होते हैं, अधिक कार्बोहाइड्रेट खाते हैं और गंभीर बीमारियों को निमंत्रण देते है!
“Our data supports that this lack of alignment may be associated with inadequate diet and physical activity, further contributing to the obesity epidemic and poor cardiometabolic health.”[१]