स्वदेशी: जो प्रकृति और मनुष्य का शोषण किये बिना अपनी सनातन संस्कृति और सभ्यता के अनुकूल आपके स्थान के सबसे निकट किसी स्थानीय कारीगर द्वारा बनायीं गयी या कोई सेवा दी गयी हो और जिसका पैसा स्थानीय अर्थव्यवस्था में प्रयोग होता हो वो स्वदेशी है ।
(जैसे- कुम्हार, बढ़ई, लौहार, मोची, किसान, सब्जीवाला, स्थानीय भोजनालय, धोबी, नाई, दर्जी आदि द्वारा उत्पादित वस्तु या सेवा)
उदाहरण के तौर पर – नीम ,बाबुल,कीकड़ आदि का दातुन स्वदेशी कहा जाएगा ,
जो आपके घर के निकट किसी कोने मे किसी गरीब द्वारा बेचा जा रहा है ।
एक तो दातुन बनने मे प्रकृति का कोई शोषण नहीं है , दूसरा ये पूर्ण रूप से प्रकृतिक है , और किसी गरीब द्वारा आपके घर के निकट बेचा जा रहा है ।
(इसके साथ बस आपको अपने जन्मदिन पर के नीम का पेड़ भी लगाना है)
लेकिन अब अगर ये दातुन रिलाईंस ,टाटा बिरला,पतंजलि जैसी कंपनी बेचने लगे , तो दातुन करना तो स्वदेशी ही माना जाएगा । लेकिन घर के निकट किसी गरीब को छोड़ कर हजारो करोड़ रु मुनाफा कमाने वाली इन कंपनियो से दातुन खरीद कर करना स्वदेशी नहीं माना जाएगा ।
इसलिए दाँतो के लिए दातुन स्वदेशी है,नमक तेल आदि से बना मंजन स्वदेशी है जिसमे प्रकृति का कोई शोषण नहीं है बेशर्ते वो आपके घर के निकट किसी स्थानीय व्यक्ति द्वारा बेचा जा रहा हो ।
टूथपेस्ट कभी स्वदेशी नहीं हो सकता ,क्योंकि कोई भी टूथपेस्ट जितना मर्जी आयुर्वेदिक ही क्यों ना हो उसमे कुछ तो कैमिकल पड़ते ही पड़ते है । और टूथपेस्ट हमेशा बड़ी-बड़ी विदेशी और भारतीय कंपनियो द्वारा बेचा जाता है ,
अब अगर आप किसी भारतीय कंपनी का बना टूथपेस्ट करते हो तो वो देशी माना जाएगा स्वदेशी नहीं ।