Social Media use and heart diseases

Marut

MediaDrivenSociety,

सोशल मीडिया, एक स्वप्न मात्र है । ऐसा संमोहक स्वप्न जो आप को निद्रा से जागने ही नहीं देगा। और मर्यादा से अधिक निद्रा, रोग है। तमस बढ़ाती है।
तमस बढ़ेगा तो सत्व क्षीण होगा ही! सत्व क्षीण होगा तो प्रज्ञा अपराध होगा और जीवन अस्तव्यस्त, तनाव से भरपूर, आधी व्याधि उपाधि ग्रस्त रहेगा।
जागो! स्वप्नवस्था से नियमित बाहर आओ।

युवानों के अकाल मृत्यु का एक कारण, मात्रा से अधिक सोशल मीडिया रूपी स्वप्न में रत रहना भी है!

सोशल मीडिया और हृदय घात?

जी हाँ – एक शोधपत्र अनुसार, सोशल मीडिया के अतिरेक से हमारे स्वभाव में बदलाव आता है और यह रात्रि समय रक्तचाप बढ़ा देता है। [१]

2020 के एक विश्वसनीय स्रोत के अनुसार, रात्रि उच्च रक्तचाप कई जटिलताओं को जन्म दे सकता है, जिनमें शामिल हैं:

सभी हृदय संबंधी घटनाएँ, जैसे दिल का दौरा और हृदय रोग
अंग क्षति, जैसे कि गुर्दे की विफलता
आघात
मधुमेह

उपाय क्या है?

  • रात्रि निद्रा के २ घंटे पहले मोबाइल उपयोग बंध
  • आत्मनिरीक्षण करते रहिए । क्या सोशल मीडिया आपके अहंकार, वासना, विकार को पोषण दे रहा है? ऐसा है तो मोबाइल उपयोग काम कीजिए।
  • सोशल मीडिया के संदेशों को उत्तर देना ईमर्जन्सी नहीं है ! तो शांति रखिए ! अपने व्यवहारिक कार्यों के बाद समय मिलता है तो आप उत्तर दे सकते है!
  • online चर्चाओ से बचिए! आपकी चर्चा से सरकार नहीं बदलेगी!

[१] Social Media and Cardiovascular Disease | Journal of Organizational Psychology (articlegateway.com)

[२] Isolated Nocturnal Hypertension: What Do We Know and What Can We Do? – PMC (nih.gov)

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