संस्कृत साधना : पाठ २१ (तिङन्त-प्रकरण ६ :: लिट् लकार अभ्यास)

Śyāmakiśora Miśra

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॥ लिट् लकार अभ्यास ॥

कुछ स्मरणीय बातें –

१) संस्कृत लिखते समय स्वरों, ह्रस्व दीर्घ मात्राओं , अनुस्वार, विसर्ग और हलन्त पर विशेष ध्यान दें। इनका उचित प्रयोग करें। कुछ लोग ‘मम’ के स्थान पर ‘मम्’ लिख देते हैं और ‘प्रणाम’ के स्थान पर ‘प्रणाम्’ – यहाँ अनावश्यक हलन्त लगा दिया गया। उसी प्रकार कुछ लोग ‘आम्’ (हाँ) के स्थान पर ‘आम’ और ‘किम्’ के स्थान पर ‘किम’ लिख देते हैं- यहाँ हलन्त लगाना भूल जाते हैं। इसी प्रकार विसर्ग और मात्रा आदि के विषय में जानना चाहिए।

२) संस्कृत में ‘ ड़ ‘ और ‘ ढ़ ‘ अक्षर नहीं होते अतः इनका प्रयोग न करें। ‘ ड़ ‘ और ‘ ङ ‘ तथा ‘ ढ़ ‘ और ‘ ढ ‘ के अन्तर को तो आप जानते ही होंगे।
‘पीड़ा’ को संस्कृत में ‘पीडा’ लिखा जाता है।
‘गूढ़’ को संस्कृत में ‘गूढ’ लिखा जाता है। इसी प्रकार ‘ड’ और ‘ङ’ , ‘व’ और ‘ब’ तथा श ष स का भी ध्यान रखें।

३) संस्कृत लिखने के लिए आपको पुरुष, वचन, लिंग, विशेष्य, विशेषण, सर्वनाम, कर्त्ता, कर्म, क्रिया, कारक-विभक्ति, धातुरूप (लकार) और शब्दरूप – इतनी बातें जानना अति आवश्यक है। इनमें से अधिकांश बातें मैं समझा चुका हूँ। अब केवल धातुरूप, शब्दरूप और कारकविभक्ति विस्तार से समझाना रह गया है। इसके बाद की बातें सन्धि, समास, प्रत्यय, उपसर्ग, वाच्यपरिवर्तन आदि प्रौढ संस्कृत लिखने के लिए हैं, इन्हें सीख लेने पर भाषा में प्रौढता आ जाती है।

४) संस्कृत में किस क्रिया के लिए कौन सी धातु है- यह स्मरण रखेंगे तो अनुवाद करना बहुत सहज हो जाएगा। आगामी पाठों में यह बताते चलेंगे।

भू धातु-
बभूव (वह हुआ)/ बभूवतुः (वे दो हुए)/बभूवुः (वे सब हुए)

शब्दकोश :
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‘विद्वान्’ के पर्यायवाची शब्द –

१] विद्वान्
२] विपश्चित्
३] दोषज्ञः
४] सत्
५] सुधीः
६] कोविदः
७] बुधः
८] धीरः
९] मनीषी
१०] ज्ञः
१२] प्राज्ञः
१३] सङ्ख्यावान्
१४] पण्डितः
१५] कविः
१६] धीमान्
१७] सूरिः
१८] कृती
१८] कृष्टिः
१९] लब्धवर्णः
२०] विचक्षणः
२१] दूरदर्शी
२२] दीर्घदर्शी

ये सभी शब्द पुँल्लिंग में ही होते हैं।
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वाक्य अभ्यास :
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भारत में अनेक विद्वान् हुए।
= भारते अनेके कोविदाः बभूवुः।

उन विद्वानों में कुछ वैयाकरण हुए।
= तेषु बुधेषु केचित् वैयाकरणाः बभूवुः।

कुछ न्यायदर्शन के विद्वान् हुए।
= केचित् न्यायदर्शनस्य पण्डिताः बभूवुः।

कुछ साङ्ख्यदर्शन के विद्वान् हुए।
= केचित् साङ्ख्यदर्शनस्य पण्डिताः बभूवुः।

आचार्य व्याघ्रभूति वैयाकरण हुए।
आचार्यः व्याघ्रभूतिः वैयाकरणः बभूव।

आचार्य अक्षपाद नैयायिक हुए।
= आचार्यः अक्षपादः नैयायिकः बभूव।

आचार्य पञ्चशिख सांख्यदर्शन के विद्वान् हुए।
= आचार्यः पञ्चशिखः साङ्ख्यदर्शनस्य पण्डितः बभूव।

वाचक्नवी गार्गी मन्त्रों की विदुषी हुई थी।
= वाचक्नवी गार्गी मन्त्राणां विचक्षणा बभूव।

पाण्डु के पाँच पुत्र हुए।
= पाण्डोः पञ्च सुताः बभूवुः।

वे सभी विद्वान् हुए।
= ते सर्वे प्राज्ञाः बभूवुः।

युधिष्ठिर धर्मशास्त्र और द्यूतविद्या के जानकार हुए।
= युधिष्ठिरः धर्मशास्त्रस्य द्यूतविद्यायाः च कोविदः बभूव।

भीम मल्लविद्या और पाकशास्त्र के वेत्ता हुए।
= भीमसेनः मल्लविद्यायाः पाकशास्त्रस्य च सूरिः बभूव।

सुकेशा ऋषि पाकशास्त्र के उपदेशक हुए थे।
= सुकेशा ऋषिः पाकशास्त्रस्य उपदेशकः बभूव।

श्रीकृष्ण भीमसेन का रसाला खाकर बहुत प्रसन्न हुए थे।
= श्रीकृष्णः भीमसेनस्य रसालं भुक्त्वा भूरि प्रसन्नः बभूव।

अर्जुन धनुर्वेद और गन्धर्ववेद के जानकार हुए।
= फाल्गुनः धनुर्वेदस्य गन्धर्ववेदस्य च विपश्चित् बभूव।

नकुल अश्वविद्या के ज्ञानी हुए।
= नकुलः अश्वविद्यायाः कोविदः बभूव।

आचार्य शालिहोत्र अश्वविद्या के प्रसिद्ध जानकार थे।
= आचार्यः शालिहोत्रः अश्वविद्यायाः प्रथितः पण्डितः बभूव।

सहदेव पशुचिकित्सा और शकुनशास्त्र के विद्वान् थे।
= सहदेवः पशुचिकित्सायाः शकुनशास्त्रस्य च ज्ञः बभूव।

कुन्ती अथर्ववेदीय मन्त्रों की विदुषी हुई।
= पृथा अथर्ववेदीयानां मन्त्राणां पण्डिता बभूव।

लल्लाचार्य और उत्पलाचार्य प्रसिद्ध गणितज्ञ हुए।
= लल्लाचार्यः उत्पलाचार्यः च प्रसिद्धौ गणितज्ञौ बभूवतुः।

मण्डनमिश्र की पत्नी भारती बड़ी विदुषी हुई।
= मण्डनमिश्रस्य पत्नी भारती महती पण्डिता बभूव।

भरद्वाज और शाकटायन वैमानिकरहस्य के ज्ञाता हुए।
= भरद्वाजः शाकटायनः च वैमानिकरहस्यस्य विचक्षणौ बभूवतुः।

शाकपूणि निरुक्त के प्रसिद्ध जानकार हुए थे।
= शाकपूणिः निरुक्तस्य प्रथितः कृष्टिः बभूव।

ऋतुध्वज की महारानी मदालसा तत्त्वज्ञ थी।
= ऋतुध्वजस्य पट्टराज्ञी मदालसा तत्त्वज्ञा बभूव।

भारत में एक नहीं, दो नहीं वरन् सहस्रों विद्वान् हुए हैं।
= भारते एकः न, द्वौ न अपितु सहस्रशाः कोविदाः बभूवुः।

॥ शिवोऽवतु ॥

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