New series for Sanskrit Learning.
सदैव याद रखना है-
1) संस्कृत में तीन वचन होते हैं- एकवचन, द्विवचन, बहुवचन।
2) संस्कृत में तीन पुरुष होते हैं- प्रथमपुरुष, मध्यमपुरुष, उत्तमपुरुष
3) संस्कृत में शब्दों के तीन लिंग होते हैं- पुँल्लिंग, स्त्रीलिंग, नपुसंकलिंग।
4) संस्कृत में प्रत्येक शब्द के रूप चलते हैं जिन्हें “विभक्ति” कहा जाता है। जैसे-
रामः रामौ रामाः
रामम् रामौ रामान् इत्यादि
(1) (2) (3)
प्रथमपु. पठति पठतः पठन्ति
मध्यमपु. पठसि पठथः पठथ
उत्तमप. पठामि पठावः पठामः
5) पुरुष को पहचानने के लिए एक सूत्र बताता हूँ उसको समझ लीजिए –
“हम उत्तम, तुम मध्यम, बाकी सब प्रथम॥”
अर्थात् हम(वयम्), मैं(अहम्) आदि स्वयं बोलने वाले व्यक्ति के वाचक शब्द हैं उत्तम पुरुष।
तुम(त्वम्) अर्थात् श्रोता के वाचक शब्द मध्यमपुरुष।
और जितने व्यक्तिवाचक शब्द बचते हैं जैसे- वह, वे, राम, श्याम, सीता, गीता आदि, वे प्रथमपुरुष हैं। आप= भवान् शब्द भी सदैव प्रथमपुरुष ही होता है, ध्यान रखना है।
6) सबसे महत्त्वपूर्ण बात- जिस पुरुष और वचन का *कर्ता होगा उसी पुरुष और वचन की क्रिया होगी। यह बात गाँठ बाँध लेनी है।
*कर्ता= जो क्रिया को करता है वही ‘कर्ता’ है। जैसे “रामः पठति” वाक्य में ‘राम’ ‘पठन क्रिया’ को कर रहा है।
यदि ये छह बातें आप ध्यान में रखेंगे तो बहुत आसानी से वाक्य बना लेंगे।
_______________________________________
मुदित पढ़ता है।
= मुदितः पठति।
अभय और साकेत नहीं पढ़ते हैं।
= अभयः साकेतः च न पठतः।
अजय, बालकृष्ण, गोविंद और राधेश्याम थोड़ा* पढ़ते हैं।
= अजयः बालकृष्णः गोविन्दः राधेश्यामः च मनाक्* पठन्ति।
क्या तुम पढ़ते हो ?
= किं त्वं पठसि ?
तुम दोनों क्या पढ़ते हो ?
= युवां किं पठथः ?
तुम सब रामायण पढ़ते हो।
=यूयं रामायणं पठथ।
मैं कुछ भी नहीं पढ़ता।
= अहं किमपि न पठामि।
हम दोनों संस्कृत पढ़ते हैं।
= आवां संस्कृतं पठावः।
हम सब पढ़ते हैं।
= वयं पठामः।
*** खेलना ( क्रीड्)
बोलना ( वद् )
चलना ( चल् ) आदि धातुओं का प्रयोग करते हुए एक एक संस्कृतवाक्य बनाइये।
I just know about this. I am also waiting for this type of sanskrit grammar teaching you introduce. I join this sanskrit learning process you teach.