जब जब आप ध्यान साधना में रत होने का प्रामाणिक प्रयत्न कर रहे होंगे तो निश्चित वृत्तियों से भरे चित्त से अगणित विचार सतत उद्भव होते रहेंगे ! उनको पहचाने, छोड़े और वापस चित्त एकाग्रता पर आ जाए ! धीरे धीरे , मन पर पकड़ बनने से यह प्रक्रिया की आवश्यकता नहीं रहेगी ! तब तक – Recognize (Distractions), Release (distractions of mind), Return (back to focus)