Poor guys are finding evidences now that sleep is critical factor for health! We were knowing this from time immemorial! (Lest we pay attention to local sciences and avoid making fun of them!)
Go read Ayurveda!
देहवृत्तौ यथाहारः तथा स्वप्नः सुखो मतः। (चरक सूत्र 21/51)
हमारे ऋषिगणों, आयुर्वेद के प्रणेताओं की दृष्टि बड़ी ही स्पष्ट रही है। वे कहते हैं कि रात्रि में हमें यथाकाल सही-सही नींद का सेवन करना चाहिए। सुश्रुत चिकित्सा सिद्धाँत (24) कहता है कि यथाकाल सेवित निद्रा पौष्टिकता, बल वर्ण, उत्साह, अग्निदीप (भूख सही लगना), चैतन्यता तथा धातुओं में साम्यता पैदा करती है। भावप्रकाश में निद्रा को कफकर तथा वातपित्तहर बताया गया तथा शरीर के लिए पुष्टिकर -सुखदायक कहा गया है। श्रीमद्भगवद्गीता (6/17) में युक्तस्वप्नावबोधस्य अर्थात् यथायोग्य सोने-जागने के क्रम को ही दुःखनाशक योग कहा गया है।
ऋषि कहते है कि देह धारण करने हेतु जिस तरह आहार आवश्यक है, उसी तरह निद्रा भी आरोग्यदायक है। अधिक नींद मोटापे का व जीवनशैली रोगों का एवं सही नींद सामंजस्य पूर्ण स्वास्थ्य का सात्त्विक आहार के माध्यम से सुस्वास्थ्य का निमित्त कारण बनती है।
Health-care professionals should prescribe sleep to prevent and treat metabolic disorders
https://www.eurekalert.org/pub_releases/2014-03/tl-hps032114.php