रामायण और महाभारत के संग जब बेठो तो धर्म को समझना सरल हो जाता है | वेद मंत्रो के अर्थ सरल रूप में आपके सामने आ जाते है |
हर एक कार्य का प्रारंभ पांडव स्वस्तिवाचन से करते! मनोवैज्ञानिक दृष्टिसे , इससे उत्तम कोई रीति नहीं के आप कार्य प्रारंभ में ही मन को विजय य कल्याण के लिए तैयार करो!
स्वस्ति के साथ शांति पाठ भी होते है और अभयता की तयारी भी!
उन्नत अस्तित्व की भावना से हो कार्य प्रारंभ! स्वस्तिवाचन!
स्वस्तिवाचन मंत्र का उदाहरण
स्वस्ति पन्थामनुचरेम सूर्याचन्द्रमसाविव, पुनर्ददताघ्नता जानता सं गमेमहि ।।
हम सब सूर्य चन्द्र की तरह से कल्याणकारी रास्तों पर सोच समझकर चलते रहें।पुनः अपनी उन्नति हेतु दानी,अघ्नता(अहिंसक) तथा विद्वान ,विवेकशील व्यक्तियों के साथ सतसंग करते रहें।
मानव जीवन को उन्नत बनाने का सरल मार्ग – सत्संग कर दक्ष रहकर जीवन यात्रा!