मूल गणेश जी का अवतरण माता पार्वती के शरीर के मैल से हुआ, मैल से निर्मित गणेश जी का पूजन ही फलदायक और विघ्नविनाशक होता है|
प्रश्न यह है कि इस कलयुग में माँ पार्वती के मैल के बराबर पवित्र मैल कहाँ से आये? जिससे निर्मित गणेश जी के पूजन से ऋद्धि सिद्धि और शुभ लाभ की प्राप्ति हो?
तब इस कलयुग में प्रणाम कीजिये गौमाता को जिनका मल मात्र मल नहीं है अपितु वो गो-वर (गोबर) अर्थात गोमाता का वरदान है हम सब के लिए, जिससे वास्तविक गणेश जी का निर्माण संभव है यही वह मूल गणेश हैँ “गोबर गणेश” जो सिद्धिविनायक हैं किन्तु पाश्चात्य संस्कृति के अंधानुकरण और फिल्मों से प्रभावित होकर हमने अपने धर्म संस्कृति, रीति रिवाजों, त्यौहारों और देवी देवताओं का इतना मज़ाक बनाया कि गोबर गणेश जैसे सुफल और सुबुद्धिदायक देव को हंसी का पात्र बना दिया और अनजाने में लोग आज किसी मुर्ख व्यक्ति के लिए गोबर गणेश शब्द का प्रयोग करने लगे|
वर्षा ऋतू में रजस्वला हुई नदिया, अपने जल के साथ तपमें लीन जंगल एवं पहाड़ो के कांप को ले आती है| यह कांप भी माँ प्रकृति का मैल है| यह मैल समृद्धि का रूपक है| आने वाले वर्ष में , खेतो से मिलने वाली लक्ष्मी यह दो मैल के कारण ही संभव है : नदी का कांप एवं गोबर |
अपने उत्सवो, आराधना एवं उसके पीछे के विज्ञान को समझो और मीडिया द्वारा चलये गए मानसिक आक्रमणोंसे बचिए!