जब भी में गौ शाला को शिक्षण भाग , स्वास्थ्य प्रणाली का भाग बतलाता हूँ तो मेरे पढे लिखें मित्रों को मजाकिया लगता है । मुझे “कट्टरता” की उपाधि दी जाती है ।
गौ माँ है और माँ की तरह अपने बच्चों के स्वास्थ्य के अच्छे से ध्यान रखती है ।
पढिए यह संशोधन — “जब हम तनाव में होते हैं तो कुत्ते सूंघ सकते हैं, अध्ययन से पता चलता है: कुत्ते तनाव-उत्प्रेरण कार्य से पहले और बाद में लोगों से सांस और पसीने के नमूनों को अलग कर सकते हैं”
Dogs can smell when we’re stressed, study suggests: Dogs could differentiate breath and sweat samples from people before and after a stress-inducing task
गौ की संवेदनशीलता और कर्म के अनुसार योनिगत जन्म अन्य सभी प्राणियों से ऊपर है । ऐसा कहीं पर पढ़ा है की गौ जन्म के बाद ही मनुष्य जन्म संभव है । यदि कुत्ता आपके तनाव का सज्ञान कर सकता है तो उससे अनेक गुना संवेनदशील गौ माँ न मात्र आपके मनोस्तर को पढ़ती है, उसको शांत भी कर देती है । इतना ही नहीं, लोगों के अनुभव के अनुसार, माँ के प्रसाद में (दूध, गोबर, मूत्र) आपके तनाव का औषध भी होता है । अमेरिका में तो घंटे के $300 के हिसाब से गौ-संसर्ग थेरपी भी प्रारंभ हो चुकी है ।
Who is Gau ( I prefer not to use highly commodified word “COW” for my mother) ?
A milk machine?
No.
गावः प्रतिष्ठा भूतानां गावः स्वस्त्ययनं परं ।।
She is foundation of healthy and happy society. Prosperity is her blessing. without her, there will be no happy and healthy society.
What do you miss when you do not do Gau seva by personally visiting Gau shala regularly?
गावः सुरभिगंधिन्यस्तथा गुग्गुलुगंधयः ।
गौवो के शरिर से अनेक प्रकार की मनोरम सुगंध निकलती है। बहुत सी गायें गुग्गुल के समान गंध वाली होती है।
Just being with her, de-stress her worshipper’s mind and elevates mood to do life duties with full focus.
When the world is full of psychopath and mental disorders, only she can help us!
Jai Gau mata!
संशोधन कुत्ते का है क्यूँ की आजकल गौ से अधिक कुत्ते पालने का चलन है ।
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The physiological processes associated with an acute psychological stress response produce changes in human breath and sweat that dogs can detect with an accuracy of 93.75%, according to a new study published this week in the open-access journal PLOS ONE by Clara Wilson of Queen’s University Belfast, UK, and colleagues.