रहस्यभेदो याञ्चा च निष्ठूर्यं चलचित्तता |
क्रोधो निःसत्यता द्यूतमेतन्मित्रस्य दूषणम् ||
गुप्त बातों को प्रगट कर देना, माँगना, निष्ठुरता, चित्त की अस्थिरता, क्रोध, झूठ बोलना, जुआ खेलना ये सब मित्र के दोष हैं ॥१.१०२॥
आज सबसे अधिक मानसिक व्याधि से हम पीड़ित हो तो वह है चलचित्त। चित्त की संचलता । जो मित्र स्वयं स्थिर चित्त हो और हमारी चलचित्तता का निवारण हेतु सदैव निमित्त हो वह सच्चा मित्र है!
वे अच्छे मित्र नहीं हैं जो मन की चंचलता दिखाते हैं और आप में भी उसी को बढ़ावा देते हैं, गुस्सा उनका स्वभाव है और झूठ बोलना उनकी आदत है, जो आपको जीवन-विनाश करने वाली शराब पीने, गेम खेलने, वेब सीरीज देखने और व्यसन के लिए मजबूर करते हैं! वे दोस्त नहीं, बल्कि आपके शत्रु हैं!
Those are not right friends who exhibits frivolity of mind and promotes same in you, anger is whose nature and lying is habit, drags you in life-degenerating binge drinking, binge gaming, binge web series watching and binge smoking for some alien type fun! They are not friends, but your enemies! Preparing you for being zombie and suicidal in mass! Wasting life like an idiot! That IS NOT friendship!
Modern media, ads, movies promote exactly the same as friendship norm.
If you understood, what a friend will never do, filter your friend list.