#prachodayathealth कल हमने देखा[१], कैसे अलुमिनियम के दैनिक उपयोग से पितृ दोष निर्माण होता है और आनेवाली पीढ़ियों को शरीरी पीड़ा प्रदान करता है | आज हम बात करते है वर्तमान की | एक और वाक्य कल लिखा था – “When we break link between two suns(the sun and mitochondria), one or another form of मानसिक विकृति is guaranteed!” तो कौन तोड़ता है यह समष्टि-पिंड सूर्य का सेतु? यहाँ mitochondria की बात की थी | यह हमारे प्रत्येक कोश में स्थित सूर्य ही है ऐसा आधुनिक विज्ञान कहता है | mitochondria हमारे कोश स्थित विश्व का शक्ति उत्पादन करता है | यह शक्ति से ही हम दिन भर क्रियान्वित रहते है | विज्ञान में यह कोश निर्मित शक्ति को ATP कहते है | एडेनोसिन 5′-ट्राइफॉस्फेट, या एटीपी, कोशिकाओं में ऊर्जा के भंडारण और हस्तांतरण के लिए प्रमुख अणु है। इसे कोश की ऊर्जा मुद्रा के रूप में जाना जाता है और इसकी तुलना बैंक में पैसे जमा करने से की जा सकती है। [२] एल्यूमीनियम जब भी कोश के अंदर प्रवेश कर जाता है, इसके कुछ कण एडेनोसिन ट्राइफॉस्फेट (एटीपी) से जुड़ जाते हैं। तो, इस तरह से एल्युमीनियम हमारे ऊर्जा स्तर को प्रभावित कर सकता है। यदि आपके आहार से एल्यूमीनियम शरीर में बढ़ता जाता है तो आप सदैव थकावट महसूस करते होंगे | शक्ति स्तर के गीरने के कारणों में से एक कारण एल्यूमीनियम भी है | [३] शक्ति नहीं तो स्वधर्म नहीं | स्वधर्म नहीं तो पुरुषार्थ नहीं (धर्म,अर्थ,काम,मोक्ष) | पुरुषार्थ नहीं तो मनुष्य जीवन का क्या प्रयोजन? अलुमिनियम को जीवन से तिलांजलि दे और नवरात्र सार्थक करें 🙂 शक्ति के अभाव से ही आसुरी वृत्तियाँ बढ़ती है | कैसे? क्रमश:
[१] कल का लेख : https://www.facebook.com/NisargJoshi/posts/10161525599174762 [२] https://www.nature.com/scitable/definition/atp-318/ [३] https://www.researchgate.net/publication/6880009_Aluminum_toxicity_elicits_a_dysfunctional_TCA_cycle_and_succinate_accumulation_in_hepatocytes