जिनके छत्र में योग सूत्र का अभ्यास चल रहा है, उन्होंने ने एक प्रश्न किया था |
यदि आपको अगले जन्म के लिए विकल्प दिए जाए – आपको क्या चाहिए?
(1) रोगी\मंद मन + स्वस्थ शरीर
(2) स्वस्थ मन + रोग युक्त शरीर
सब ने एक साथ द्वितीय विकल्प का हि चयन किया ! ऐसा क्यूँ? क्योंकि, आप मानो या नहीं, भारतीय मानस मन का स्वतंत्र अस्तित्व स्वीकार करेगा!
जीतने रोग सूक्ष्म शरीर में उतना हि उपचार दुष्कर ! जन्मों जन्म की साधना से मन पवित्र कर सकते है |
हेतुद्वयं हि चितस्य वासना च समीरणः ।
तयोर्विनष्टे एकस्मिंस्तवावपि विनश्यतः।।
चित्त के दो हेतु है – वासना और प्राण | इनमें से किसी एक पर नियंत्रण अर्थात दूसरे पर नियंत्रण | मन प्राण से भी सूक्ष्म है | प्राणायाम से करना चाहिए चित्त शुद्धि का प्रारंभ | रुकिए, प्राणायाम से पहले करना है आसन अभ्यास | अपने श्वास का अनुभव करना है | साथ साथ स्वाध्याय और ईश्वर प्रणिधान से वासना रूपी क्लेशों के नाश हेतु प्रयत्नशील रहना चाहिए !
आपका दिन मंगल रहें |