सफल जीवन हेतु आत्म विश्वास निरंतर बढ़ना और हर परिस्थितिमें टिकना चाहिए!
इस विषय पर बाज़ारमें बहुत कुछ बिकता है | पुस्तक, सेमिनार , youtube….सेल्फ-हेल्प का पूरा सागर है! सब मुनाफ़ा बना रहे है! पर उपभोक्ताका आत्म विश्वास ढेर का ढेर! एसा क्यूँ?
ऐसा इसलिए की, मूल को छोड़ सब कुछ पकड़ लिया!
निश्चित ही , आत्म विश्वास जीवन की निशानी है! होना ही चाहिए! इसके लिए मूल में जाओ | श्रीनद भगवद गीताका अभ्यास कर आत्म तत्त्व को समझो, आत्माके गुण पर चिंतन-मनन करो और शनै शनै जीवन वहीँ गुणोंका प्रतिबिंब बने ऐसे प्रयत्न हो!
आत्म के गुणोंको समझने और जीवनमें अंकित करने पर आत्म-विश्वास बढ़ता है! किन्तु हमारे लिए गीता तो बुढ़ापे के pastime है न! तो फिर पढो बाजारू कूड़ा-कचरा और बढ़ा लो आत्म विश्वास!
मेरी समझ में “आत्मविश्वास” भी एक Vaccine है! निरोगी रहने की कुंजी है आत्मविश्वास!
महाभारत आश्वमेधिक पर्व के अनुगीता पर्व के अंतर्गत अध्याय 51 में भी आत्मा का स्वरूप और उसके ज्ञान की महिमा का वर्णन हुआ है। व्यस्त जीवनसे थोडा समय निकलकर पढ़ लो!