भू धातु, लुट् लकार
भविता भवितारौ भवितारः
भवितासि भवितास्थः भवितास्थ
भवितास्मि भवितास्वः भवितास्मः
शब्दकोश :
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रात्रि के पर्यायवाची शब्द –
१) शर्वरी
२) निशा
३) निशीथिनी
४) रात्रिः
५) त्रियामा
६) क्षणदा
७) क्षपा
८) विभावरी
९) तमस्विनी
१०) रजनी
११) यामिनी
१२) तमी
* सभी शब्द स्त्रीलिंग में।
‘नक्तम्’ का अर्थ भी ‘रात्रि’ होता है और यह शब्द अव्यय होता है। वाक्य में इसका प्रयोग यथावत् कर सकते हैं। यदि आपको उपर्युक्त रात्रिवाची शब्दों के रूप न पता हों तो सर्वत्र ‘नक्तम्’ का प्रयोग कीजिए।
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वाक्य अभ्यास :
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तेरा यह कार्य परसों रात में होगा।
= तव इदं कार्यं परश्वः निशायां भविता।
आप दोनों कल रात प्रयाग में नहीं होंगे क्या ?
= भवन्तौ श्वः रात्रौ प्रयागे न भवितारौ किम् ?
वे सब तो परसों रात प्रयाग में ही होंगे।
= ते तु परश्वः क्षपायां प्रयागे एव भवितारः।
हम भी वहीं होंगे।
= वयम् अपि तत्र एव भवितास्मः।
यह योगी कल रात कहाँ होगा ?
= एषः योगी श्वः क्षणदायां कुत्र भविता ?
तुम परसों रात विमान में होगे।
= त्वं परश्वः नक्तं विमाने भवितासि।
तुम दोनों तो रेलगाड़ी में होगे।
= युवां तु रेलगन्त्र्यां भवितास्थः।
परसों रात ही उत्सव होगा।
= परश्वः नक्तम् एव उत्सवः भविता।
हम दोनों उस उत्सव में नहीं होंगे।
= आवां तस्मिन् उत्सवे न भवितास्वः।
बाकी सब तो होंगे ही।
= अन्याः सर्वे तु भवितारः एव।
तुम दोनों उस उत्सव में क्यों नहीं होगे ?
= युवां तस्मिन् उत्सवे कथं न भवितास्थः ?
हम दोनों मथुरा में होंगे, इसलिए।
= आवां मथुरायां भवितास्वः, अत एव।
उसके बाद हम सब तुम्हारे घर होंगे।
= तत्पश्चात् वयं तव भवने भवितास्मः।
हमारा स्वागत होगा कि नहीं ??
= अस्माकं स्वागतं भविता वा न वा ??
अवश्य होगा।
= अवश्यं भविता।
हम आप सबको देखकर बहुत प्रसन्न होंगे।
= वयं भवतः दृष्ट्वा भूरि प्रसन्नाः भवितास्मः।
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श्लोक :
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न च तस्मात् मनुष्येषु
कश्चित् मे प्रियकृत्तमः।
‘भविता’ न च मे तस्मात्
अन्यः प्रियतरो भुवि॥
( श्रीमद्भगवद्गीता १८.६९ )
॥ शिवोऽवतु ॥
अति उत्तम । मैं आभारी हूँ आपका गुरुदेव । इसी तरह से मार्गदर्शन प्राप्त होता रहे तो हम पर बड़ी कृपा होगी ।