Prayers to Shri Hari

Nisarg Joshi

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अविनयमपनय विष्णो दमय मनः शमय
विषयमृगतृष्णाम् |
भूतदयां विस्तारय तारय संसारसागरतः || १ ||

  • हे विष्णुभगवान् ! मेरी उद्दण्डता दूर कीजिये, मेरे मनका दमन कीजिये और विषयोंकी मृगतृष्णाको शान्त कर दीजिये, प्राणियोंके प्रति मेरा दयाभाव बढ़ाइये और इस संसार-समुद्रसे मुझे पार लगाइये |

साभार Gita press

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