अविनयमपनय विष्णो दमय मनः शमय
विषयमृगतृष्णाम् |
भूतदयां विस्तारय तारय संसारसागरतः || १ ||
- हे विष्णुभगवान् ! मेरी उद्दण्डता दूर कीजिये, मेरे मनका दमन कीजिये और विषयोंकी मृगतृष्णाको शान्त कर दीजिये, प्राणियोंके प्रति मेरा दयाभाव बढ़ाइये और इस संसार-समुद्रसे मुझे पार लगाइये |
साभार Gita press