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#durgasaptshati
कल्याण्यै प्रणतां वृद्ध्यै सिद्ध्यै कुर्मो नमो नमः ।
नैरृत्यै भूभृतां लक्ष्म्यै शर्वाण्यै ते नमो नमः ॥ ११॥
durga-saptshati adhyay 5
कल्याण का अर्थ है आनंददायक, सौभाग्य। ब्रह्मांड के उद्गम से प्रति क्षण माँ भगवती संसार में सभी के कल्याण के लिए ही तत्पर है । कल्याण का प्रारंभ मंगलकारी वचनों से होता है ।
रामायण और महाभारत के संग जब बेठो तो धर्म को समझना सरल हो जाता है | वेद मंत्रो के अर्थ सरल रूप में आपके सामने आ जाते है | हर एक कार्य का प्रारंभ पांडव स्वस्तिवाचन से करते! मनोवैज्ञानिक दृष्टिसे , इससे उत्तम कोई रीति नहीं के आप कार्य प्रारंभ में ही मन को विजय य कल्याण के लिए तैयार करो! उन्नत अस्तित्व की भावना से हो कार्य प्रारंभ! स्वस्तिवाचन! यदि स्वधा पठन से पोषण होता है तो स्वस्तिवाचन से कल्याण। स्वस्तिवाचन के लिए उच्चारित वाणी ही “कल्या” है । कल्या के प्रारंभ से कल्याण योग्य कर्म करने की प्रेरणा माँ भगवती है ।