Sanskrit

अरि : Case of faulty Translation

As per यास्काचार्य in निघंटु, word ‘अरि:’ means इश्वर and अमित्र. So while reading Rigveda, one should understand meaning of ...

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संस्कृत गोवीथि : : गव्य ४३ (पुराण विशेष) : सूर्य्यार्च्चनम्

Sun worship is integral and de-facto part of Sanatani living. सूर्य्यार्च्चनम् अग्निपुराणम्/अध्यायः ३०१ घोषासृक्प्राणधात्वर्दी दण्डी मार्त्तण्डभैरवः । धर्म्मार्थकाममोक्षाणां कर्त्ता विम्बपुटावृतः ...

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संस्कृत गोवीथि : : गव्य ३८ (पुराण विशेष) :: ध्यान क्या है?

What is ध्यान? What is the power of ध्यान? ध्यै चिन्तायां स्मृतो धातुर्विष्णुचिन्ता मुहुर्मुहुः । अनाक्षइप्तेन मनसा ध्यानमित्यभिधीयते ।। ३७४.१ ...

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संस्कृत गोवीथि : : गव्य ३७ (पुराण विशेष)

अजितान्नारुहेद्‌भूमिं हिक्काश्वासादयस्तथा । जिते प्राणे स्वल्पदोषविण्मूत्रादि प्रजायते ।। ३७३.१२ ।। आरोग्यं शीघ्रगामित्वमुत्साहः स्वरसौष्ठवम् । बलवर्णप्रसादश्च सर्वदोषक्षयः फलं ।। ३७३.१३ ।। ...

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संस्कृत गोवीथि : : गव्य ३६ (शंकराचार्य विशेष)

तत्ज्ञानं प्रशमकरं यदिन्द्रियाणां तत्ज्ञेयं यदुपनिषत्सुनिश्चितार्थम्। ते धन्या भुवि परमार्थनिश्चितेहाः शेषास्तु भ्रमनिलये परिभ्रमंतः ॥१॥ वह ज्ञान है जो इन्द्रियों की चंचलता ...

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संस्कृत गोवीथि : : गव्य ३५ (शंकराचार्य विशेष)

एकान्ते सुखमास्यतां परतरे चेतः समाधीयतां पूर्णात्मा सुसमीक्ष्यतां जगदिदं तद्वाधितं दृश्यताम्। प्राक्कर्म प्रविलाप्यतां चितिबलान्नाप्युत्तरैः श्लिश्यतां प्रारब्धं त्विह भुज्यतामथ परब्रह्मात्मना स्थीयताम्॥५॥ एकांत ...

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