Dharmic Cinema – is it worth?

Nisarg Joshi

Entertainment

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Dharma based movies

आप को धार्मिक सिनेमा से क्या प्रॉबलम है?
कोई प्रॉब्लेम नहीं है यदि हमारी विवेक बुद्धि पुष्ट हो । बस बच्चों के लिए योग्य नहीं (जिनकी विवेक बुद्धि विकासशील होती है , पूर्ण विकसित नहीं होती)।
सामान्य मनोरंजन हेतु निर्मित सिनेमा से अधिक धार्मिक सिनेमा घातक होता है।
जब सिनेमा देखते है तो न मात्र पटकथा सुनतेदेखते है पर जो भी कलाकार अभिनय करते है उनके व्यक्ति गत जीवन से भी हम संस्कार ग्रहण करते है । धार्मिक कथा पर अभिनय करने वाले कलाकार के व्यक्तिगत विकार, कथा के हार्द को आत्मसात करने में बाधा बनते है।
उदाहरण : रामायण में सीता का पात्र का अभिनय करने वाली अभिनेत्री यदि आइटम नंबर भी करती है, जो की विदित तथ्य है, तो एक बुद्धिभ्रम खड़ा होता है जो की सीता माता के पात्र से जो सूक्ष्म संस्कार ग्रहण करने है वह प्रभावी रूप में ग्रहण नहीं होते। राम के पात्र वाला कलाकार व्यसनी हो तो कैसे चलेगा?
मन तो सभी तथ्यों को इकट्ठा कर अपने सत्य का संस्कार बनाएगा। अच्छा है , बाल मन को ऐसे सिनेमा से ही दूर रखो।
आदर्श एक ही – सहहृदयी(मातापिता,दादा दादी, बड़े भाई) से श्रवण कीजिए और बाद में अकेले में मनन और चिंतन । वर्ष में कभी कभी, अकिंचन निस्वार्थी कथावाचक से भी श्रवण करना चाहिए।
जब मन सांसारिक प्रपंचों के कारण थका हुआ है तब हम जीवंत रामलीला जैसे दृश्य श्राव्य नाट्यो का आधार ले सकते है । उस में भी, कलाकार जितने निर्मल अंतःकरण वाले, उतना प्रभाव मन पर पड़ता है।

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