
prachodayathealth #utsavdrivenlife
आगे पढ़ने से पहले: याद रखें – शिवरात्रि हो या अन्य कोई पर्व, व्रतों का मुख्य उद्देश्य, साधना से आध्यात्मिक प्रगति है। स्वास्थ्य लाभ तो सहज है ! साधना को केवल स्वास्थ्य व्यवस्था तक सीमित न रखें!
शिशिर = कफ प्रधान ऋतु
कफ़ स्थान = ऊपरी श्वसन पथ (मस्तिष्क, नाक, कान, गला)
अनंत काल से शिशिर का अंत कफ़ प्रकोप के लिए जाना जाता है।
प्रकोप = फ़्लू (स्वाइन फ़्लू, बर्ड फ़्लू, कोरोना, ओमीक्रॉन और सूची अंतहीन है)
कफ जलाने के लिए व्यायाम जरूरी है। उपवास (लंघन) एवं जागरण भी ।
महा मास की शिवरात्रि कफ संतुलन में मदद करती है। वसंत आगमन भी है। पसीना हो ऐसे खेल महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। जंगल में ट्रैकिंग से मदद मिलती है। नदी के किनारे कैम्पिंग करने से मदद मिलती है। एकान्त में हवन करने से सहायता मिलती है। अतिरिक्त कफ को जला दें। वसंत क्रीड़ामय हो।
हममें से कुछ लोग जागरण करते हैं। कैसे? फिल्में देखकर, निष्क्रिय रूप में 🙂 जागरण करना हो तो एकांत में रहिए, अंधेरे में समय बिताएँ। आसमान को देखें। टूटते तारों से बात करें। मंत्र जाप करें। भजन गाएँ।
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