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संस्कृत गोवीथि : : गव्य ५५ (गणेश साधना विशेष) :: ऋणहरगणेशस्तोत्रम्

॥ ऋणहरगणेशस्तोत्रम् ॥ सिन्दूरवर्णं द्विभुजं गणेशं लम्बोदरं पद्मदले निविष्टम् । ब्रह्मादिदेवैः परिसेव्यमानं सिद्धैर्युतं तं प्रणमामि देवम् ॥ १॥ सृष्ट्यादौ ब्रह्मणा ...

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संस्कृत गोवीथि : : गव्य ४८ : कृष्ण जन्म विशेष : देव दुर्लभ श्रीमद्भागवत

देव दुर्लभ श्रीमद्भागवत श्रीमद्भागवत के माहात्म्य में कहा गया है- जब श्री शुकदेव जी परीक्षित को कथा सुनाने लगे तब ...

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संस्कृत गोवीथि : : गव्य ४७ : कृष्ण जन्म विशेष : रामानुजाचार्य रचित श्रीरङ्गगद्यम्

रामानुजाचार्य विशिष्टाद्वैत वेदान्त के प्रवर्तक थे। वह ऐसे वैष्णव सन्त थे जिनका भक्ति परम्परा पर बहुत गहरा प्रभाव रहा। वैष्णव आचार्यों ...

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संस्कृत गोवीथि : : गव्य ४३ (पुराण विशेष) : सूर्य्यार्च्चनम्

Sun worship is integral and de-facto part of Sanatani living. सूर्य्यार्च्चनम् अग्निपुराणम्/अध्यायः ३०१ घोषासृक्प्राणधात्वर्दी दण्डी मार्त्तण्डभैरवः । धर्म्मार्थकाममोक्षाणां कर्त्ता विम्बपुटावृतः ...

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