सामाजिक और राष्ट्रीय कर्तव्योंका विनियोग = यज्ञ

सामाजिक और राष्ट्रीय कर्तव्योंको भूल कर कोई व्यक्ति स्वस्थ एवं समृद्ध जीवन नहीं जी सकता, समाज प्रगति नहीं कर सकता और राष्ट्र अमर नहीं बन सकता| सामाजिक और राष्ट्रीय कर्तव्योंका विनियोग = यज्ञ द्रव्ययज्ञास्तपोयज्ञा योगयज्ञास्तथापरे । स्वाध्यायज्ञानयज्ञाश्च यतय: संशितव्रता: ।।Gita 4.28।। Some perform sacrifice with material possessions; some offer sacrifice in the shape of austerities; others … Continue reading सामाजिक और राष्ट्रीय कर्तव्योंका विनियोग = यज्ञ