संस्कृत साधना : पाठ ८ (‘विशेष्य’ और ‘विशेषण’)

Śyāmakiśora Miśra

Sanskrit, SanskritLearning, SanskritPathMala, Sanskrutam

 

सर्वेभ्यः मित्रेभ्यः नमो नमः !!
आज आपको ‘विशेष्य’ और ‘विशेषण’ के विषय में समझाते हैं। किन्तु आप निरन्तर अभ्यास तो कर रहे हैं न ? और सीखने में कोई जल्दबाजी भी नहीं करनी चाहिए। महात्मा विदुर ने धृतराष्ट्र से कहा था – “अशुश्रूषा त्वरा श्लाघा विद्यायाः शत्रवस्त्रयः” अर्थात् गुरु का अनादर, जल्दबाजी और किसी से होड़ रखना- विद्या के ये तीन शत्रु हैं। तो इन शत्रुओं से आपको बचकर रहना है।

१) जो किसी व्यक्ति या वस्तु या किसी स्थान आदि की विशेषता बताए उसे ‘विशेषण’ कहा जाता है। उदाहरण- जैसे बहुत सी गोमाताएँ किसी स्थान पर बैठी हुई हैं और आपसे कहा जाए कि “काली गाय को ले आओ” तब आप उन सभी गोमाताओं में से केवल काली गोमाता को ही लायेंगे। अब यहाँ जो “काली” शब्द है वह गोमाता की विशेषता बता रहा है। इसी प्रकार कहीं बहुत से बालक बैठे हों और कोई कहे कि “मैं बालक को रसगुल्ला दूँगा” तो सभी बालक रसगुल्ला लेने आ जाएँगे। किन्तु यदि वह कहे कि “मैं पीले कुर्ते वाले बालक को रसगुल्ला दूँगा” तब ‘पीले कुर्ते वाला’ विशेषण हो गया, इस विशेषण ने उस बालक को अन्य बालकों से अलग कर दिया।

२) अब ‘विशेष्य’ को जानिये। जिसकी विशेषता बताई जाए वह ‘विशेष्य’। जैसे- “कपिला गाय” कहा जाए तो ‘कपिला’ विशेषण है और ‘गाय’ विशेष्य है।

३) जो लिंग, विभक्ति और वचन विशेष्य के होंगे वही विशेषण के भी होंगे। यह संस्कृतभाषा की अद्भुत विशेषता है। इन विशेष्य विशेषणों को आप वाक्य में कहीं भी रख दें किन्तु वाक्य का अर्थ नहीं बदलेगा।

यह तो आपको ‘विशेष्य’ और ‘विशेषण’ के विषय में बताया। कल आपको सर्वनाम विशेषण के बारे में बताएँगे जो कि बहुत महत्त्वपूर्ण विषय है। और आपसे एक आग्रह है कि किसी पाठ से सम्बन्धित कोई संशय, जिज्ञासा आदि हो तो निःसंकोच पूछिये। अधोलिखित वाक्यों में आपको ‘विशेष्य’ ‘विशेषण’ का अभ्यास कराते हैं।
_______________________________________

वाक्य अभ्यास :
===========

नटखट कन्हैया कपिला गाय का दूध पीता है।
= कौतुकी कृष्णः कपिलायाः धेनोः दुग्धं पिबति।

सुन्दर बच्ची मधुर कण्ठ से मधुर गीत गाती है।
= सुन्दरी बालिका मधुरेण कण्ठेन मधुरं गीतं गायति।

चपल बन्दर विशाल वृक्षों पर पके फल खाता है।
= चपलः वानरः विशालेषु वृक्षेषु पक्वानि फलानि खादति।

दुष्ट शिकारी तीखे बाणों से हिरन को मारता है।
= दुष्टः व्याधः तीक्ष्णैः शरैः हरिणं हन्ति।

तुम दोनों निर्धन आदमी को भयंकर ठण्ड में अच्छे वस्त्र देते हो।
= युवां निर्धनाय पुरुषाय भयङ्करे शैत्ये शोभनानि वस्त्राणि यच्छथः । (यच्छ् -देना)

चतुर स्त्री सुगन्धित पुष्पों को माला में गूँथती है।
= चतुरा नारी सुगन्धितानि पुष्पाणि मालायां ग्रथ्नाति।

_______________________________________

श्लोक :
====

पश्यामि देवान् तव देव देहे
सर्वान् तथा भूतविशेषसङ्घान्।
ब्रह्माणम् ईशं कमलासनस्थम्
ऋषीन् च सर्वान् उरगान् च दिव्यान्॥
(श्रीमद्भगवद्गीता ११।१५॥)

उपर्युक्त श्लोक में द्वितीया विभक्ति के कुछ शब्द हैं उन्हें ढूँढकर टिप्पणी-मंजूषा (Comment box) में लिखें।

॥शिवोऽवतु॥

4 thoughts on “संस्कृत साधना : पाठ ८ (‘विशेष्य’ और ‘विशेषण’)”

  1. देवान् , सर्वान् , भूतविशेषसङ्घान् , ब्रह्माणम्, ईशं , कमलासनस्थम्, ऋषीन, सर्वान्, उरगान्, दिव्यान् – अर्जुन ने भगवन के विश्वरूप में जो जो भी देखा , उसे बताया है इस श्लोक में , अतः सभी विशेषण और विशेष्य द्वितीय विभक्ति में हैं . सभी विशेष्य पुल्लिंगी हैं .

    आपके पाठ उत्कृष्ट हैं। नियमित पढ़ती हूँ 🙂

    Reply
    • धन्यवाद Ami Ganatra जी। आपने बिल्कुल सही उत्तर लिखा है। शब्दों की वर्तनी (spelling) पर ध्यान दें।
      *ऋषीन्
      *भगवान्
      *द्वितीया

      Reply
  2. sir, gadyansh,padhyansh aur natyash me क्रियापद , कर्तृपद,विशेषण और विशेष्य ko kaise pehchane.
    aur क्रियापद , कर्तृपद prathma ya dvitiya vibhakti se pehchana jata hain.
    विशेष्य kya hota hai ye bataa dijiye

    Reply

Leave a Comment

The Prachodayat.in covers various topics, including politics, entertainment, sports, and business.

Have a question?

Contact us