संस्कृत साधना : पाठ २० (तिङन्त-प्रकरण ६ :: लिट् लकार विशेष नियम)

Śyāmakiśora Miśra

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नमः संस्कृताय मित्राणि !

अभी तक आपने वर्तमानकाल के लिए प्रयुक्त होने वाले लट् लकार के विषय में, केवल वेद में दिखाई देने वाले लेट् लकार के विषय में , सामान्य भूतकाल के लिए प्रयुक्त होने वाले लुङ् लकार के विषय में और अपरोक्ष भूतकाल के लिए प्रयुक्त होने वाले लङ् लकार के विषय में जाना। आपने भू (होना) धातु के उन रूपों का वाक्यों में अभ्यास भी किया जो कि उपर्युक्त लकारों में बनते हैं।

आज आपको भूतकाल के लिए ही प्रयुक्त होने वाले लिट् लकार के विषय में बतायेंगे। यह लकार बहुत रोचक भी है और सरल भी। आपने कभी न कभी “व्यास उवाच” या गीता के “श्रीभगवान् उवाच” या “अर्जुन उवाच” या “सञ्जय उवाच” आदि वाक्यों को तो सुना ही होगा ? इन वाक्यों में जो ‘उवाच’ शब्द है वह ‘ ब्रू ‘ ( ब्रूञ् व्यक्तायां वाचि ) धातु के लिट् लकार प्रथमपुरुष एकवचन का रूप है। लिट् लकार के रूप पुराणों और इतिहासग्रन्थों में बहुलता से मिलते हैं।

भू धातु के रूप इस लकार में निम्नलिखित हैं –

बभूव (वह हुआ) बभूवतुः (वे दो हुए) बभूवुः (वे सब हुए)
बभूविथ (तू हुआ ) बभूवथुः (तुम दोनों हुए) बभूव (तुम सब हुए )
बभूव (मैं हुआ ) बभूविव (हम दो हुए ) बभूविम(हम सब हुए )

लिट् लकार के विषय में कुछ स्मरणीय बातें-

१) लिट् लकार का प्रयोग परोक्ष भूतकाल के लिए होता है। ऐसा भूतकाल जो वक्ता की आँखों के सामने का न हो। प्रायः बहुत पुरानी घटना को बताने के लिए इसका प्रयोग होता है। जैसे – रामः दशरथस्य पुत्रः बभूव। = राम दशरथ के पुत्र हुए। यह घटना कहने वाले ने देखी नहीं अपितु परम्परा से सुनी है अतः लिट् लकार का प्रयोग हुआ।

२) लिट् लकार के प्रथम पुरुष के रूपों का ही प्रयोग बहुधा होता है। आप ढूँढते रह जाएँगे मध्यमपुरुष और उत्तमपुरुष के रूप नहीं मिलेंगे। अतः आपको प्रथमपुरुष के रूप ही याद करना है।

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शब्दकोश :
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युवावस्था के नाम –

१] तारुण्यम् ( नपुंसकलिंग )
२] यौवनम् ( नपुंसकलिंग )

बुढ़ापे के नाम –

१] स्थाविरम् ( नपुंसकलिंग )
२] वृद्धत्वम् ( नपुंसकलिंग )
३] वार्द्धकम् ( नपुंसकलिंग ) इसका प्रसिद्ध प्रयोग – “वार्द्धके मुनिवृत्तीनाम्” (रघुवंशम्)।
४] वार्द्धक्यम् ( नपुंसकलिंग )

*वार्द्धकम् का अर्थ ‘वृद्धों का समूह’ भी होता है।

बड़े भाई के नाम-

१] पूर्वजः ( पुँल्लिंग )
२] अग्रियः ( पुँल्लिंग )
३] अग्रजः ( पुँल्लिंग )

छोटे भाई के नाम –

१] जघन्यजः
२] कनिष्ठः
३] यवीयः
४] अवरजः
५] अनुजः
(सभी पुँल्लिंग में)
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वाक्य अभ्यास :
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अज के पुत्र दशरथ हुए।
= अजस्य पुत्रः दशरथः बभूव।

वृद्धावस्था में दशरथ के चार पुत्र हुए।
= स्थाविरे दशरथस्य चत्वारः सुताः बभूवुः।

राम सब भाइयों के अग्रज हुए।
= रामः सर्वेषां भ्रातॄणाम् अग्रियः बभूव।

लक्ष्मण और शत्रुघ्न जुड़वा हुए।
= लक्ष्मणः च शत्रुघ्नः च यमलौ बभूवतुः।

युवावस्था में राम और लक्ष्मण अद्भुत धनुर्धर हुए।
= यौवने रामः च लक्ष्मणः च अद्भुतौ धनुर्धरौ बभूवतुः।

भारतवर्ष में आश्वलायन नामक ऋषि हुए थे।
= भारतवर्षे आश्वलायनः नामकः ऋषिः बभूव।

वे शारदामन्त्र के उपदेशक हुए।
= सः शारदामन्त्रस्य उपदेशकः बभूव।

अभिमन्यु तरुणाई में ही महारथी हो गया था।
= अभिमन्युः तारुण्ये एव महारथः बभूव।

एक दुर्वासा नाम वाले ऋषि हुए।
= एकः दुर्वासा नामकः ऋषिः बभूव।

जो अथर्ववेदीय मन्त्रों के उपदेशक हुए।
= यः अथर्ववेदीयानां मन्त्राणाम् उपदेशकः बभूव।

भारत में शंख और लिखित ऋषि हुए।
= भारते शंखः च लिखितः च ऋषी बभूवतुः।

भारत में ही रेखागणितज्ञ बौधायन हुए।
= भारते एव रेखागणितज्ञः बौधायनः बभूव।

भारत में ही शस्त्र और शास्त्र के वेत्ता परशुराम हुए।
= भारते एव शस्त्रस्य च शास्त्रस्य च वेत्ता परशुरामः बभूव।

भारत में ही वैयाकरण पाणिनि और कात्यायन हुए।
= भारते एव वैयाकरणौ पाणिनिः च कात्यायनः च बभूवतुः।

पाणिनि के छोटे भाई पिङ्गल छन्दःशास्त्र के उपदेशक हुए।
= पाणिनेः अनुजः पिङ्गलः छन्दःशास्त्रस्य उपदेशकः बभूव।

धौम्य के बड़े भाई उपमन्यु हुए।
= धौम्यस्य अग्रियः उपमन्युः बभूव।

उपमन्यु शैवागम के उपदेशक हुए।
= उपमन्युः शैवागमस्य उपदेशकः बभूव।

वे कृष्ण के भी गुरु थे।
= सः कृष्णस्य अपि गुरुः बभूव।

भारत में ही शिल्पशास्त्र के अट्ठारह उपदेशक हुए।
= भारते एव शिल्पशास्त्रस्य अष्टादश उपदेशकाः बभूवुः।
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श्लोक :
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एवमुक्त्वा हृषीकेशं गुडाकेशः परन्तप।
न योत्स्य इति गोविन्दम् उक्त्वा तूष्णीं बभूव ह॥

एक एक शब्द का अर्थ अपनी कापी में लिखें और अपने बड़ों से पूछकर ‘हृषीकेश’ ‘गुडाकेश’ ‘परन्तप’ और ‘गोविन्द’ शब्दों का रहस्य पूछें और उसे डायरी में लिख लें।

॥ शिवोऽवतु ॥

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