संस्कृत साधना : पाठ १० (सर्वनाम विशेषण-२)

Śyāmakiśora Miśra

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नमः संस्कृताय !!
कल आपने ‘सर्वनाम विशेषण’ के विषय में जाना और तद् , एतद्, यद् और किम् के रूप भी जान लिये। मुझे आभास हो रहा है कि सर्वनाम वाला प्रसंग आपको थोड़ा सा कठिन लग रहा है। किन्तु घबराइये बिल्कुल नहीं। धैर्य रखिए। धैर्य बहुत महान् गुण है। धैर्य, ध्यान और अभ्यास ये तीन आपके मित्र हैं। इन सर्वनाम शब्दों के रूप आपको याद नहीं हुए हैं तो कोई बात नहीं। वाक्यों द्वारा जब आपको अभ्यास करायेंगे तो ये सारे शब्द आपकी जिह्वा पर स्थिर हो जाएँगे। इन्हें याद करने का सबसे सरल उपाय है इनका बारम्बार अभ्यास। अथवा आप इन्हें दिन भर में किन्हीं पाँच व्यक्तियों को सुना दें। इससे आपका अभ्यास भी हो जाएगा और संस्कृत का प्रचार भी।

१) आज आपको इदम् और अदस् सर्वनामों के रूप बताते हैं।
इदम् ( यह, इस, इन आदि)
अदस् (वह, उस, उन आदि)

२) अब आपको एक श्लोक बता देते हैं जिससे आपको यह बात पक्की हो जाएगी कि इदम् , एतद् , अदस् और तद् का प्रयोग कब और कहाँ करना चाहिए।

“इदमस्तु सन्निकृष्टे समीपतरवर्ति चैतदो रूपम्।
अदसस्तु विप्रकृष्टे तदिति परोक्षे विजानीयात् ॥”

(इदम् अस्तु सन्निकृष्टे समीपतरवर्ति च एतदः रूपम्।
अदसः तु विप्रकृष्टे तद् इति परोक्षे विजानीयात् ॥)

अर्थात् –
१] इदम् = समीपस्थ वस्तु के लिए
२] एतद् = अत्यन्त समीपस्थ वस्तु के लिए
३] अदस् = दूरस्थ वस्तु के लिए
४] तद् = परोक्ष अर्थात् जो आपको दिखाई न दे ऐसी वस्तु के लिए।

इदम् पुँल्लिंग :

अयम् इमौ इमे
इमम् इमौ इमान्
अनेन आभ्याम् एभिः
अस्मै आभ्याम् एभ्यः
अस्मात् आभ्याम् एभ्यः
अस्य अनयोः एषाम्
अस्मिन् अनयोः एषु

इदम् नपुसंकलिंग :

इदम् इमे इमानि
इदम् इमे इमानि (शेष पुँल्लिंगवत्)

इदम् स्त्रीलिंग :

इयम् इमे इमाः
इमाम् इमे इमाः
अनया आभ्याम् आभिः
अस्यै आभ्याम् आभ्यः
अस्याः आभ्याम् आभ्यः
अस्याः अनयोः आसाम्
अस्याम् अनयोः आसु

अदस् पुँल्लिंग :

असौ अमू अमी
अमुम् अमू अमून्
अमुना अमूभ्याम् अमीभिः
अमुष्मै अमूभ्याम् अमीभ्यः
अमुष्मात् अमूभ्याम् अमीभ्यः
अमुष्य अमुयोः अमीषाम्
अमुष्मिन् अमुयोः अमीषु

अदस् नपुसंकलिंग :

अदः अमू अमूनि
अदः अमू अमूनि (शेष पुँल्लिंगवत्)

अदस् स्त्रीलिंग :

असौ अमू अमूः
अमुम् अमू अमूः
अमुया अमूभ्याम् अमूभिः
अमुष्यै अमूभ्याम् अमूभ्यः
अमुष्याः अमूभ्याम् अमूभ्यः
अमुष्याः अमुयोः अमूषाम्
अमुष्याम् अमुयोः अमूषु

* ध्यानपूर्वक देखिए , आप पाएँगे कि स्त्रीलिंग के द्विवचन के सभी रूप पुँल्लिंग की भाँति ही हैं। एकवचन और बहुवचन में भी थोड़ा सा ही अन्तर है।

अब कल आपको युष्मद् ( तुम ) और अस्मद्( मैं ) के रूप बताकर कुछ दिनों तक केवल अभ्यास करवायेंगे अन्यथा यह सब सिर के ऊपर से चला जाएगा। बुद्धि में कुछ भी न टिकेगा। उपर्युक्त सर्वनामों के कुछ वैकल्पिक रूप भी होते हैं। इन वैकल्पिक रूपों को अभ्यास कराते समय बताएँगे।
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श्लोक : अयम् = यह (इदम् का पुँल्लिंग एकवचन)

अच्छेद्यः अयम् अदाह्यः अयम्
अक्लेद्यः अशोष्यः एव च ।
नित्यः सर्वगतः स्थाणुः
अचलः अयं सनातनः ॥
अव्यक्तः अयम् अचिन्त्यः अयम्
अविकार्यः अयम् उच्यते।
तस्मात् एवं विदित्वा एनम्*
न अनुशोचितुम् अर्हसि॥

*एनम् = इसको (इमम् का वैकल्पिक रूप)
(श्रीमद्भगवद्गीता २।२४-२५॥)

इस प्रकार के और भी श्लोक आप ढूँढकर लिख सकते हैं जिनमें उपर्युक्त सर्वनामों का प्रयोग किया गया हो।

॥शिवोऽवतु॥

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